tag:blogger.com,1999:blog-7248048124861057294.post7107140674295624593..comments2023-05-12T16:11:08.057+05:30Comments on स्वसंवाद: रोमन के वकीलविकास परिहारhttp://www.blogger.com/profile/07464951480879374842noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-7248048124861057294.post-33639199956413354092007-10-02T18:55:00.000+05:302007-10-02T18:55:00.000+05:30अच्छा लिखा आपने, आपसे पूर्ण सहमति है - हिन्दी देवन...अच्छा लिखा आपने, आपसे पूर्ण सहमति है - हिन्दी देवनागरी में ही जँचती है।ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7248048124861057294.post-32961882974032221162007-10-02T14:29:00.000+05:302007-10-02T14:29:00.000+05:30"ऐसे कुत्सित प्रयासों की एक तरफ उपेक्षा होनी चाहिय..."ऐसे कुत्सित प्रयासों की एक तरफ उपेक्षा होनी चाहिये और जरूरत पड़ने पर सटीक जवाब भी देना चाहिये।"<BR/><BR/>मैं इसका समर्थन करता हूं. साथ ही जो एक अज्ञात टिप्पणीकार ने लिखा है उसका विरोध भी करता हूं<BR/><BR/><BR/>विनीत<BR/><BR/>शास्त्री जे सी फिलिप<BR/><BR/>हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है<BR/>http://www.Sarathi.infoShastri JC Philiphttps://www.blogger.com/profile/00286463947468595377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7248048124861057294.post-37379020878019739182007-10-02T10:41:00.000+05:302007-10-02T10:41:00.000+05:30"इसी तरह के लोग नहीं बड़ पाते जीवन पथ पर"इसके बजाय ..."इसी तरह के लोग नहीं बड़ पाते जीवन पथ पर"<BR/><BR/>इसके बजाय सही तथ्य यह है कि ऐसे लोग अपने भाई-बन्धुओं को लत्ती मारकर उपर उठ जाते हैं। वे किसी विदेशी संस्था के हाथ में खेलते हैं, पैसे बनाते हैं। उनको पूरे देश की चिन्ता नही है। ये उनका व्यवसाय है। इसको उसी रूप में देखा जाना चाहिये। वे 'ब्रिटिश काउन्सिल' के दलाल की तरह काम करके गौरवान्वित महसूस करते हैं।<BR/><BR/>ऐसे कुत्सित प्रयासों की एक तरफ उपेक्षा होनी चाहिये और जरूरत पड़ने पर सटीक जवाब भी देना चाहिये।अनुनाद सिंहhttps://www.blogger.com/profile/05634421007709892634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7248048124861057294.post-21406049598090638152007-10-02T07:55:00.000+05:302007-10-02T07:55:00.000+05:30सही कहा विकास परिहार. अपनी हिन्दी भाषा देवनागरी मे...सही कहा विकास परिहार. अपनी हिन्दी भाषा देवनागरी में ही जंचेगी, और आज जब यूनिकोड और गूगल ने भी हिन्दी सर्च, हिन्दी ब्लागिंग, और यहां तक की हिन्दी में आर्कुटिंग को संभव बना दिया है, तो फिर रोमन लिपि के दीवाने क्यों.<BR/><BR/>लेकिन दोस्त विकास तुम्हारे लेख का लक्ष्य वो व्यंग्यकार महारथी नहीं, वो लोग होने चाहिये जो हिन्दी का डंका लेटिन(रोमन) लिपि के जरिये बजाना चाहते हैं.<BR/><BR/>विरोध जारी रखना दोस्त, लेकिन देखना वो सच्चे दुश्मन के खिलाफ हो.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7248048124861057294.post-79018762215321968532007-10-02T06:39:00.000+05:302007-10-02T06:39:00.000+05:30काहे प्रचार करना उनका. अपनी मौत खुद मारे जायेंगे व...काहे प्रचार करना उनका. अपनी मौत खुद मारे जायेंगे वो...बस, यह जागरुकता बनाये रहो.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com