tag:blogger.com,1999:blog-7248048124861057294.post7728230779013304058..comments2023-05-12T16:11:08.057+05:30Comments on स्वसंवाद: उसकी हँसी*विकास परिहारhttp://www.blogger.com/profile/07464951480879374842noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-7248048124861057294.post-58514764099007077022007-09-28T23:48:00.000+05:302007-09-28T23:48:00.000+05:30सर्वप्रथमआपने मेरी इस पहली कहानी को पढ़ कर अपने सुझ...सर्वप्रथमआपने मेरी इस पहली कहानी को पढ़ कर अपने सुझाव दिये उसके लिये सह्रुदय धन्यवाद। और मैं अपनी अगली रचना में अपनी इन त्रुटियों को सुधारने का पूरा प्रयास करूंगा।<BR/> साभार<BR/> विकास परिहारविकास परिहारhttps://www.blogger.com/profile/07464951480879374842noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7248048124861057294.post-33647892631778656862007-09-28T22:58:00.000+05:302007-09-28T22:58:00.000+05:30प्रथम प्रयास के लिहास से अच्छी है. लिखते रहो, धार ...प्रथम प्रयास के लिहास से अच्छी है. लिखते रहो, धार अपने आप आ जायेगी. मेरी शुभकामनायें एवं पढ़ने का वादा तुम्हारे साथ है. <BR/><BR/>थीम कुछ मौलिक उठाओ तो पाठक को नयापन अपने आप बांधेगा.<BR/><BR/>वाक्य संरचना ठीक है.छोटे छोटे वाक्य ही अच्छा प्रभाव देते हैं. <BR/><BR/>संबोधनों को और थोड़ा सा बल दो. भाभी, उसके नाम के साथ भैया लगा रहीं है, अच्छा लगा पढ़कर किन्तु अगले ही वाक्य में उसे तु करके संबोधित करना खटका-इसकी जगह अगर ऐसा कहतीं कि 'भैय्या, आप भी!!' तो ज्यादा सुहाता.<BR/><BR/>बड़े भैय्या से छत पर संवाद भी रिश्तों के हिसाब से गरिमापूर्ण ही होना चाहिये, गंभीर कथा में बंदा शब्द का इस्तेमाल आदि छोटी छोटी बातों पर थोड़ा ध्यान देने की जरुरत रहती है हालांकि लिखने के प्रवाह में और छापने की जल्दी में हम सभी अक्सर इन बातों पर ध्यान नहीं दे पाते मगर देना चाहिये. <BR/><BR/>मैं खुद भी नहीं दे पाता :) मगर सुझाव देना सरल है न भाई. इसलिये दिये दे रहा हूँ. <BR/><BR/>मात्र सुझाव है. अन्यथा मत लेना.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com