Monday, October 1, 2007

गाँधी*

देखा भाला परखा था।
एक हाँथ में लाठी थी,
एक हाँथ मे चरखा था।
तन पर उसके थी एक धोती।
आँखों में चमक जैसे मोती।
ऊपर से दिखता था निर्बल,
पर अंदर से फौलादी था।
वो एक अकेला गाँधी था।

कोई जल न उसको भिगा सका।
न कोई तूफाँ उसको डिगा सका।
उसने सत्ता को झकझोर दिया।
सबके गुरूर को तोड़ दिया।
जो हिंसा के आगे झुका नहीं,
अलबेला अहिंसावादी था।
वो एक अकेला गाँधी था।

* परम पूज्य राष्ट्रपिता को समर्पित

1 comment:

Udan Tashtari said...

बढ़िया.

बापू को हमारा शत शत नमन!!

© Vikas Parihar | vikas