वक़्त के साथ बढ़ रहे हैं उम्र के साल भी धीरे-धीरे।
कि देखो पकने लगे हैं मेरे बाल भी धीरे-धीरे।
पहले हर रोज़ मुझे ख्वाब तेरे आते थे,
अब तो आते नहीं ख्याल भी धीरे-धीरे।
पहले दिल अपना लगाने से जिन्हें नफरत थी,
आज बिछाते हैं दिल के जाल वो धीरे-धीरे।
पहले जो बे-झिझक मुझसे बात किया करते थे,
आज पूछते हैं मेरा हाल वो धीरे-धीरे।
Tuesday, October 9, 2007
धीरे-धीरे
लेखक:- विकास परिहार at 01:31
श्रेणी:- गीत एवं गज़ल
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