Tuesday, October 9, 2007

धीरे-धीरे

वक़्त के साथ बढ़ रहे हैं उम्र के साल भी धीरे-धीरे।
कि देखो पकने लगे हैं मेरे बाल भी धीरे-धीरे।

पहले हर रोज़ मुझे ख्वाब तेरे आते थे,
अब तो आते नहीं ख्याल भी धीरे-धीरे।

पहले दिल अपना लगाने से जिन्हें नफरत थी,
आज बिछाते हैं दिल के जाल वो धीरे-धीरे।

पहले जो बे-झिझक मुझसे बात किया करते थे,
आज पूछते हैं मेरा हाल वो धीरे-धीरे।

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© Vikas Parihar | vikas