Wednesday, September 12, 2007

मेरा देश महान

झूठ की जहां पूजा होत।
सच्चाई जहां बैठ कर रोत।
सब कोई अपना राग अलापे।
अपने ढंग से सीमा नापे।
चार फ़ुटे को छः फ़िट बोलें।
आधे को पौवा ही तोले।
काम ना कोई करना जाने।
अपने को सब ज्ञानी माने।
झूठ का रहता सच पर पहर।
गोरे पर है काला चेहर।
जहाँ अर्थनीति निर्धन को मारे।
अपने नसीब को रोयें सार।
गुण्डों के हाथ जिसकी कमान।
वह है मेरा देश महान।

1 comment:

Shastri JC Philip said...

आईये इस स्थिति को बदलने की कोशिश करें -- शास्त्री जे सी फिलिप

आज का विचार: जिस देश में नायको के लिये उपयुक्त आदर खलनायकों को दिया जाता है,
अंत में उस देश का राज एवं नियंत्रण भी खलनायक ही करेंगे !!

© Vikas Parihar | vikas