इस जीवन से मौत भली है।
जिसमें मरता मन हर एक पल।
हृदय में हर एक बसा हुआ छल।
जहाँ पर पैसों में बिकता जल।
जहाँ मनुष्यों से महगा कल।
जहाँ पर कुचली हर एक कली है।
इस जीवन से मौत भली है।
जगत विरक्ति चाहे यह मन।
हर रिश्ता है स्वार्थ का बंधन।
हर पल अश्रुपूरित आँखें।
पाप से झुकी जीवन शाखें।
ढलने अब सच की सांझ चली है।
इस जीवन से मौत भली है।
Thursday, September 13, 2007
वर्तमान
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