Saturday, September 15, 2007

मोहब्बत की पहचान

आँखों में तेरी सिमटा हुआ है जहाँ।
तुझ से सुन्दर ज़माने में कोई कहाँ।
तू कहे तो हिला दूँ मैं यह ज़मीं,
तू कहे तो झुका दूं मैं यह आसमाँ।
तुझसे ही मेरे जीने की है आरज़ू,
तुझसे ही मेरे मरने का अरमान है।
तू तो मेरी मोहब्बत की पहचान है।
मैं तेरे प्यार में ऐसा पागल हुआ।
यह हवा जैसे तेरा ही आँचल हुआ।
मेरे सामने फ़िर तू आयी नहीं,
फ़िर भी दीदार तेरा ही हर पल हुआ।
तू जो आये तो दिल में भी आये बहार,
बिन तुम्हारे यह दिल मेरा वीरान है।
तू तो मेरी मोहब्बत की पहचान है।
मेरा अरमान है कि मैं पाऊँ तुझे।
हर एक कीमत पर अपना बनाऊँ तुझे।
यह तो मोमकिन है कि तुझको पा न सकूँ,
पर यह मुमकिन नहीं भूल जाऊँ तुझे।
मैं तुझे चाहता हूँ दिलोजान से,
फ़िर मेरे प्यर से तू क्यों अनजान है।
तू तो मेरी मोहब्बत की पहचान है।

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© Vikas Parihar | vikas