दिल में उथल-पुथल है,
मन में मची है हल-चल।
ऐ मौत मुझे ले चल,
ऐ मौत मुझे ले चल।
Tuesday, September 11, 2007
अन्तिम अभिलाषा
लेखक:- विकास परिहार at 12:15
श्रेणी:- गीत एवं गज़ल
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दिल में उथल-पुथल है,
मन में मची है हल-चल।
ऐ मौत मुझे ले चल,
ऐ मौत मुझे ले चल।
लेखक:- विकास परिहार at 12:15
श्रेणी:- गीत एवं गज़ल
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© Vikas Parihar | vikas
1 comment:
प्रिय विकास,
आज पहली बार आपके चिट्ठे पर आया एवं आपकी रचनाओं का अस्वादन किया. आप अच्छा लिखते हैं, लेकिन आपकी पोस्टिंग में बहुत समय का अंतराल है. सफल ब्लागिंग के लिये यह जरूरी है कि आप हफ्ते में कम से कम 3 पोस्टिंग करें. अधिकतर सफल चिट्ठाकार हफ्ते में 5 से अधिक पोस्ट करते हैं. किसी भी तरह की मदद चाहिये तो मुझ से संपर्क करे webmaster@sararhi.info
एक बार और: कविताओं को कम से कम 8 से 10 पंक्तियों का बनाने की कोशिश करें.
-- शास्त्री जे सी फिलिप
मेरा स्वप्न: सन 2010 तक 50,000 हिन्दी चिट्ठाकार एवं,
2020 में 50 लाख, एवं 2025 मे एक करोड हिन्दी चिट्ठाकार!!
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