देश वासियो याद करो तुम उन महान बलिदानों को।
देश के खातिर जान लुटाई, देश की उन संतानों को।
जिनके कारण तान कर छाती खड़ा यह पर्वतराज है।
जिनके चलते सबके सर पर आज़ादी का ताज है।
महाकाल भी काँपा जिनसे मौत के उन परवानों को।
देश वासियो याद करो................
देख कर टोली देव भी बोले देखो-देखो वीर चले।
गर पर्वत भी आया आगे, पर्वत को वो चीर चले।
जिनसे दुश्मन डर कर भागे ऐसे वीर जवानो को।
देश वासियो याद करो................
जिनने मौत का गीत बजाया अपनी साँसों की तानो पर।
पानी फेरा सदा जिन्होंने दुश्मन के अरमानों पर।
मेहनत से जिनने महल बनाया उजड़े हुए वीरानों को।
देश वासियो याद करो................
हँस-हँस कर के झेली गोली जिनने अपने सीनों पर।
अंत समय में सो गए जो रख कर माथा संगीनों पर।
शत-शत नमन कर रहा है मन मेरा ऐसे दीवानों को।
देश वासियो याद करो.................
Friday, October 12, 2007
याद करो
लेखक:- विकास परिहार at 00:16
श्रेणी:- गीत एवं गज़ल
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1 comment:
अच्छी लगा पढ़कर ...सुंदर मनोभाव ..बधाई
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