जब भी तुम्से सभी दूर जाने लगें।
शाम भी अपना दामन चुराने लगे।
तुम मुझे याद करना मेरी जाने जाँ,
मैं चला आऊँगा, मैं चला आऊँगा।
साथी जो थे पथ में छूटें सभी।
सपने सुहाने भी टूटें सभी।
तुम मुझे याद करना.....
आँखों से मोती यूं बरबस टपकने लगें।
पाँव भी चलते-चलते थकने लगें।
तुम मुझे याद करना.....
धड़कनें जाएं रुक नब्ज़ जमने लगे।
कुछ समझ आए न साँस थमने लगे।
तुम मुझे याद करना.....
Tuesday, October 23, 2007
मैं चला आऊँगा
लेखक:- विकास परिहार at 14:39
श्रेणी:- गीत एवं गज़ल
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