दिलों के हाल को अक्सर बता देती हैं ये आँखें।
अगर दिल में मुहब्बत है जता देती हैं ये आँखें।
भले ही पल खुशी का हो, या कि हो गम का वो आलम,
बरस पड़ती हैं धीरे से, दगा देती हैं ये आँखें।
इन्ही के बल पे चलती है हुक़ूमत हुस्न वालों की,
हसीनों को सदा एक नई अदा देती हैं ये आँखें।
कि दिल की बात को दिल में इन्हें रखना नहीं आता,
ज़ुबाँ जो कह नहीं पाती बता देती हैं ये आँखें।
बना इनका निशाना जो नहीं वो मांगता पानी,
सम्हलने भर का मौका भी कहाँ देती हैं ये आँखें।
Friday, October 5, 2007
आँखें
लेखक:- विकास परिहार at 04:11
श्रेणी:- गीत एवं गज़ल
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