तुमने मुझको दे दिया जो एक टुकड़ा धूप का,
उससे रोशन हो गया मेरा यह सारा जहाँ।
Saturday, November 17, 2007
धूप का टुकड़ा
लेखक:- विकास परिहार at 00:12
श्रेणी:- क्षणिकाएं एवं अशआर
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तुमने मुझको दे दिया जो एक टुकड़ा धूप का,
उससे रोशन हो गया मेरा यह सारा जहाँ।
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