है यही वह देश जिसमें बिक रहा शमशान है।
हर गरीब इंसान को जहाँ लूटता धनवान है।
वतन का रहनुमा ही खुद जहाँ बेईमान है।
झूठे को जिस जगह पर मिल रहा सम्मान है।
ठोकरें खाता जहाँ पर घूमता विद्वान है।
आदमी को मारता खुद आदमी हैवान है।
भ्रष्टाचारी ही बनी जिस देश की पहचान है।
वीरों से जिस देश की धरती हुई वीरान है।
ज़िंदगी जिस देश में अब मौत ही के समान ह।
यह मेरा हिंदुस्तान है, यह मेरा हिंदुस्तान है।
Monday, September 10, 2007
यह मेरा हिंदुस्तान है
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