खुशियाँ य गम बांटें सभी।
होंगे जुदा ना हम कभी।
दुनिया करे कितने सितम।
हारें नहीं दुनिया से हम।
सारे सितम हँस कर सहें।
कुछ तुम कहो, कुछ हम कहें।
सारे जहाँ को छोड़ दें।
रस्में सभी हम तोड़ दें।
जीवन में बस प्यार हो।
एक दूजे का दीदार हो।
एक दूजे के दिल में रहें।
कुछ तुम कहो, कुछ हम कहें।
Tuesday, September 25, 2007
कुछ तुम कहो कुछ हम कहें।
लेखक:- विकास परिहार at 20:53
श्रेणी:- कवितायें, गीत एवं गज़ल
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment