Monday, September 24, 2007

नहीं आती

कोई उम्मीद बर नहीं आती।
उसकी कोई खबर नहीं आती।
तेरे जाने के बाद वक़्त भी रूठा मुझसे,
रात आती है सहर नहीं आती।
फाईलों में फंस गयी होगी,
गाँव तक जो नहर नहीं आती।
होकर के जुदा तुझसे गया मौत के पहलू मे मैं,
वो भी कहती है मर! नहीं आती।
पहले आती थी याद तेरी हर इक पल,
अब तो चारों पहर नहीं आती।

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© Vikas Parihar | vikas