Wednesday, September 12, 2007

तेरी ज़रूरत

मुझको हर इक पल तेरी ज़रूरत है।
तू ना मिली मुझको ये मेरी किस्मत है।
है मुझे यह गम ऐ मेरे हमदम,
सब दिया तुझको, फ़िर भी शिकायत है।
तोङ कर हंसना दिल को दिलबर के,
है मुझे मालूम तेरी आदत है।
अब तलक ख्वाबों में ही जीता था,
आज यह जाना क्या हक़ीकत है।
अब तो जीने की आरज़ू न है,
कब्र मंज़िल है सफ़र मैयत है।

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© Vikas Parihar | vikas