मेरा दिल होने लगा है आज यह बेताब क्यों।
रातों को आने लगे हैं बस तुम्हारे ख्वाब क्यों।
लग रहा है क्यों ना अब रह पाऊँगा होकर जुदा।
अब तो चाहे दुनिया रूठे, रूठ जाये या खुदा।
लगता है क्यों बिन तेरे जीना मेरा बेकार है।
ऐ मेरे हमदम बता दे क्या यही प्यार है।
लगता है क्यों कट सकेगा अब न तन्हा यह सफ़र।
बिन तुम्हारे लग रहा है क्यों मुझे सूना शहर।
क्यों ये चाहूं मैं कि बस तू हि तू आये नज़र।
दिल के दरिया में उठी क्यों नाम की तेरे लहर।
क्यों मेरी आँखों को हर पल तेरा हि इंतज़ार है।
ऐ मेरे हमदम बता दे क्या यही प्यार है।
Thursday, September 13, 2007
क्या यही प्यार है....
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