Sunday, September 30, 2007

धुआँ

कल ताशब
इस कदर धुआँ उठा,
कि चाँद काला पड़ गया।
डाल दिया था किसी ने,
लकड़ियों की जगह
दिल अपना चूल्हे में।

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© Vikas Parihar | vikas