जहाँ हुई है शब हम वहीं पे सहर कर लेंगे।
हम तो बस आपके तसव्वुर मे बसर कर लेंगे।
अगर वो वादा करे हमसे तुम्हे खुश रखने का,
तो उसके नाम हम अपनी सारी उमर कर लेंगे।
Friday, October 19, 2007
कर लेंगे
लेखक:- विकास परिहार at 18:42
श्रेणी:- क्षणिकाएं एवं अशआर
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1 comment:
इतना अधिक कबाड़ नहीं है
क बाड़ जो लगी है
बाड़ जो लगी है
जिसे थामे
किबाड़ तो नहीं है
खिड़की है
दोस्तों की झिड़की
प्यारी भी है
रामदुलारी है
रामसेवक है
विकास का उदघोषक है
परिहार परिहार्य है
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