वो कह रहे हैं मुझसे कि मुझको भूल जाओ,
कोई उनसेजा कर पूछे कि क्या वो भूल पाएंगे।
जब भी धड़केगा दिल उनका उनके सीने में,
हर एक धड़कन पर उन्हें हम याद आ ही जाएंगे।
जब भी देखेंगे वो खुद को अपने ख्वाबों में,
उस घड़ी उनको याद आएगा मेरा चेहरा,
लहू बन कर बहेंगे रगों में हम उनकी, और
बन रंग उनका चहरे पर उनके छाएंगे।
झुका दे जो खुदा को है वो ताक़त मेरी मुहब्बत में,
उनकी आब-ओ-हवा अपना प्यार मिलाऊंगा ऐसे कि,
रोकना चाहेंगे न रोक पाएंगे अपने कदमों को,
है सच्चा इश्क़ तो इक दिन वो मेरे पास आ ही जाएंगे।
Friday, October 26, 2007
क्या वो भूल पायेंगे
लेखक:- विकास परिहार at 18:50
श्रेणी:- गीत एवं गज़ल
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1 comment:
आक्रामक प्रेम-कविता।
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