ज़हर बन जाएगी यह ज़िंदगी सोचा न था।
दिल्लगी बन जाएगी दिल की लगी सोचा न था।
दिल मेरा बुतखाना है और तू है बुत,
मोहब्बत बन जाएगी ये बन्दगी सोचा न था।
बिन तेरे दीदार के अब तो रहा जाता नहीं,
इस कदर बढ़ जाएगी यह तिश्नगी सोचा न था।
आया हूं जिस मोड़ पर है लौटना मुश्किल उससे,
ऐसे मोड़ पर लाएगी मुझको ज़िंदगी सोचा न था।
Wednesday, October 3, 2007
सोचा न था
लेखक:- विकास परिहार at 15:58
श्रेणी:- गीत एवं गज़ल
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