मैने तो मांगी थी तुझसे छाँव तेरे प्यार की,
पर तुमने मुझको दे दिया क्यों एक टुकड़ा धूप का।
Sunday, November 18, 2007
छांव प्यार की
लेखक:- विकास परिहार at 00:26
श्रेणी:- क्षणिकाएं एवं अशआर
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मैने तो मांगी थी तुझसे छाँव तेरे प्यार की,
पर तुमने मुझको दे दिया क्यों एक टुकड़ा धूप का।
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